saifuddinsaify:
मोदी जी ,माध्यम वर्ग को चहरे से जयेदा पेट के आग क...: मोदी जी ,माध्यम वर्ग को चहरे से जयेदा पेट के आग की चिंता है अंग्रेजी अखबार के प्रतिनिधि को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा द...
Thursday, August 30, 2012
मोदी जी ,माध्यम वर्ग को चहरे से जयेदा पेट के आग की चिंता है
अंग्रेजी अखबार के प्रतिनिधि को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी
द्वारा दिया गया ये बयान की " मिडिल क्लास सेहत से ज्यादा ख़ूबसूरती पर
ध्यान देता है " उनकी बचकानी और अधकचरी बुद्धि को दर्शाता है. उन्हें
शायद असलियत मालूम ही नही है असलियत तो ये है की मिडिल क्लास सेहत से
ज्यादा भूख पर ध्यान देता है. आज मिडिल क्लास के लिए भूख मिटाना ही एक
समस्या बनी हुई है.पहले वो अपने पेट की आग को तो शांत कर ले फिर सेहत के
बारे में सोचेगा.
उसके बाद जब मोदी से कहा गया की गुजरात में पांच साल से कम के आधे
से ज्यादा बच्चे कुपोषित है तो इसके जवाब में सफाई देते हुए उनका कहना
था कि "अगर माँ बेटी से कहेगी की दूध पी लो तो बेटी की माँ से लड़ाई हो
जायगी ,वह कहेगी मुझे दूध नही पीना मोटी हो जाउंगी". तो शायद उन्हें
मालुम ही नही है कि पांच साल से छोटे बच्चे ऐसी बात नही किया करते है. आज
एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए दो वक्त चाय पीना मुश्किल हो रहा है दूध
पीना तो दूर कि बात है. और दूध किन दामो में मिल रहा है ये भी शायद
उन्हें पता नही है. कहते है पुराने समय में नगर के राजा भेष बदल कर अपनी
जनता का हाल लेने उनके उनके बीच जाते थे तब उन्हें पता चलता था कि जनता
का दुःख दर्द क्या है. आज किस प्रदेश का राजा ये कर रहा है ? उन्हें
मालुम ही नही कि जीने कि जिन मूलभूत चीजो कि आवश्यकता है उसे कैसे
मिडिल क्लास मैनेज कर रहा है. शिक्षा महंगी है, परिवहन महंगा है, भोजन
महंगा है, दवाइयां महंगी है. इन सभी आवश्यकताओ से सबसे ज्यादा मिडिल
क्लास रूबरू होता है. क्योकि न तो वो किसी गरीब कि तरह इनसे मुंह चुरा
सकता है और न अमीरों कि तरह इन्हें आसानी से मैनेज कर सकता है. इसलिए
सबसे ज्यादा परेशानी यही वर्ग उठा रहा है. ऐसे में मोदी का ये बयान जैसे
उनकी लाचारी का मजाक उड़ा रहा है.
मोदी जी शायद आप को मालुम ही नही कि कुपोषण इसलिए है कि मिडिल
क्लास को दूध तो क्या पौष्टिक भोजन तक नसीब नही है. आपने शायद अपने
परिवार की किसी लडकी के मुंह से यह सुना होगा कि दूध पीने से वो मोटी हो
जाएगी नही तो माध्यमवर्गीय के लिए तो दूध अमृत के समान है जो शायद उन्हें
कभी वार- त्यौहार या बीमारी- हारी में ही पीने को मिलता है. शायद आपको
जानकारी ही नही है कि मिडिल क्लास को चेहरे की चमक कि नही पेट की भूख की
ज्यादा चिंता है.
सैफुद्दीन सैफ़ी
Subscribe to:
Comments (Atom)